लॉग साथ वहां तक ही निभाते हैं जहा
तक उसका मतलब हो....
इस मतलबी दुनियां में थोड़ा मतलबी
होना भी जरूरी हैं...
हर दर्द एक सबक देता हैं,
और हर सबक इंसान को बदल देता हैं...।।
एक सरकारी नौकरी के चक्कर में पूरी जिंदगी
के शौक ही खतम हो जाते हैं....।
सब्दो से ज्यादा व्यवहार असर करता है...।
ज्यादा अच्छा होना भी गुनाह हैं,
पता नहीं चलता लोग कदर कर रहे हैं या इस्तेमाल....।
पागल होना भी जरूरी हैं जिंदगी में,
समझदार लोग खुलके हंसते कहा हैं...।
मुझे में पसंद हु, बस इतना ही काफी हैं...
जिंदगी का एक कड़वा सच ये भी हैं की,
कोई किसी का हमेशा special नहीं रेहता....
यहां कुछ भी स्थायी नहीं हैं, ना लोग, ना चीज़े,
ना रिश्ते ना ही जिंदगी...
लोग तुमसे नहीं, तुम्हारी परिस्थिति से
हाथ मिलाते हैं...।
वक्त बीत जाने के बाद अक्सर ये एहसास होता हैं की जो लम्हा छूट गया वो बेहतर था...।
अंत केवल मृत्यु हैं,
हर दिन प्रयत्न करना ही जीवन हैं...
एक अच्छी जिंदगी बहुत बुरे वक्त से
गुज़र के आती हैं..
कुछ रिश्ते दरवाज़े खोल जाते हैं,
या तो दिल के या दिमाग के..।
मतलब खतम हो जाने के बाद
हर इंसान रंग बदल लेता हैं...
हर सुलझा हुआ सख्स कहीं न कहीं
उलझा जरूर जरूर होता हैं..।
जिंदगी ने ऐसे मजे लिए हैं
की अब खुद पर हंसी आती हैं...
जुबान में कड़वाहट ज़रूरी हैं,
लेकिन किरदार में मिलावट नहीं....
वक्त हर चीज को ठोक
पीट कर ठीक कर देता हैं...।
केवल खुद को ढूंढना हैं,
बाकी सब तो Google पर हैं...।
उम्मीदें फिर से सबकुछ जिंदा कर देती हैं...।
खुद अपने हिस्से का कमाना पड़ता हैं,
जिंदगी किसी पे रहम नहीं खाती....
अपने कुछ गुज़रे हुए वक्त से नफरत हैं मुझझे....