

पत्थर नहीं है हम मुझमें भी नमी हैं,
दर्द बयां नहीं करते बस इतनी सी कमी है..!!
BAS YAHI SOCH KR CHUP HU MAI,
APNI JAGAH HAR KOI SAHI HOTA HAI.
जो था वो रहा नहीं,
जो हूँ वो किसी को पता नही.!
कौन कहता है पसंद नहीं किसी को मैं
प्रेशानियो से पूछो कितना चाहती है मुझे
ख़ुद को ग़लत ठहरा कर
कहानी से निकल गये हम !!
कोई किसी का नहीं होता,
सब अपने मूड के हिसाब से बात करते हैं..!!
किसी ने पूछा याद आती है उसकी
मैंने मुस्कराकर बोला तभी तो जिंदा हूं
माना मेरी ही गलती है पर मैं अब खुश हु
क्यू की मुझे अब किसी से कोई उम्मीद नहीं है..!!
बिगड़ैल है ये यादें,
देर रात को टहल ने निकलती है..!!
किसी के लिए हर वक़्त,
हाजिर रहोगे तो लोग अच्छा नहीं फालतू समझेंगे..!!
Ek सुंदर स्त्री एक पुरुष को सदैव
Chutiya ही बनाती है !
जिंदगी उन्ही की रंगीन होती है...
जो रंग बदल ना जानते हैं!!
!! अब लड़ाई खुद से है !!
!! खुद को बदलने की !!
अभी बहुत से और भ्रम
टूटेंगे मुझे अभी और ग़लत होना बाक़ी है
कामयाबी की पार्टी मांगने वाले,
तकलीफ़ों मे नज़र नही आते..!
बहुत कुछ गलत होगा,
सब सही होने से पहले..!
और फिर मैंने अपने मनपसंद शक्स से
खुद को दूर कर दिया
बहोत ही तकलीफ़ में हूँ आज कल,
कुछ बीता हुआ फिर बीत रहा है।
खुद का दर्द खुद से बेहतर..
कोई नहीं समझ सकता...!!
किरदार कितना भी साफ क्यों ना हो,
लोग वही सोचेंगे जो उनके मन में होंगा..!!