आई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ
उफ़ ले गई है मुझको मोहब्बत कहाँ कहा...
कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत मेरी
लब पे रह जाती है आ आ के शिकायत मेरी ...
एक फूल देना मोहब्बत नहीं, बल्कि
ज़िन्दगी भर फूलों की तरह रखना मोहब्बत है.. !
ज़रूरी तो नहीं जो ख़ुशी से उसी से प्यार हो
प्यार अक्सर दिल तोड़ने वाले भी क्र जाते है
दिल के कोने से एक आवाज़ आती है
हमें हर पल उनकी याद आती है
दिल पूछता है बार – बार हमसे
के जितना हम याद करते है उन्हें
क्या उन्हें भी हमारी याद आती है
सूरज वो जो दिन भर आसमान का साथ दे
चाँद वो जो रात भर तारों का साथ दे
प्यार वो जो ज़िंदगी भर साथ दे
और दोस्ती वो जो पल पल साथ दे |
पहली मोहब्बत मेरी हम जान न सके, प्यार क्या होता है हम पहचान न सके,
हमने उन्हें दिल में बसा लिया इस कदर कि, जब चाहा उन्हें दिल से निकाल न सके।
वो रख ले मुझे अपने पास कहीं क़ैद करके, काश के मुझसे कोई ऐसा क़ुसूर हो जाये
लिख दूँ तो लफज़ तुम हो,
सोच लूँ तो ख्याल तुम हो,
माँग लूँ तो मन्नत तुम हो,
और चाह लूँ तो मोहब्बत भी तुम ही हो।
छोड़कर कर अपने सभी सपनो को
मैंने आपको अपनी मंजिल बनाई
कभी छोड़कर ना जाना मेरा साथ
हमने साथ ज़ीने की कसमें है खाई !
काश एक खवाहिश पूरी हो इबादत के बगैर
वो आ कर गले लगा ले…..मेरी इजाजत के बगैर!
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते..
वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी
बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है!
तुमको ग़म के ज़ज़्बातों से उभरेगा कौन,
ग़र हम भी मुक़र गए तो तुम्हें संभालेगा कौन!
तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं
वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं
ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा
ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है
खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है
सब तरह की दीवानगी
से वाकिफ हुए हम,
पर मा जैसा चाहने वाला
जमाने भर में ना था ! “
सर-ए-बाज़ार तुझको मैं झुकाऊँगा
यहाँ तुझको झुकाना हाँ चुनौती है
उम्र भर की बातें करना छोड़ो जनाब
एक पल में हम जिंदगी जी लेते हैं..
आपकी एक मुस्कान के खातिर हम
अक्सर दिल को समझा ही देते हैं
वक्त के साथ धुंधलाती गयी हर शय
पर अहसास वही है, और वही हूं मैं..
तुम्हारी यादें मेरी नींदें उड़ा ले गई
तेरी मीठी बातें ये दिल चुरा ले गई...
गम को हम कभी सह ना सके
खुशियों में कभी दिल से मुस्कुराना सके
जिंदगी भी कितनी बदनसीब थी दोस्तों
जिसे चाहा, कभी उसे हम पा ना सके...
नफरत क्या करूंगा अपने प्यार की
शिकायत नहीं है मुझसे, मेरे यार की...
पता नहीं कैसा एहसास है यह, जब से तुम मिले हो सब अच्छा लगने लगा.
कोई हमें block करे
या कोई lock करे
पर हम तो उसी के नसीब में होंगे
जो मेरे दिल पर nock करे
क़ाफी अच्छा लगता है जब भी तू हँसती है,
क्योंकि तेरे एक smile में मेरी जान बसती है।
अब तो खुद से मिलने की इच्छा होती है,
लोगों से सुना है बङे दिलचस्प है हम!!
इन आँखों को जब तेरा दीदार हो जाता है
दिन कोई भी हो लेकिन त्यौहार हो जाता है..